वैभव सूर्यवंशी: एक कहावत को बदलने वाला नाम

वैभव सूर्यवंशी
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भारत में यह कहावत बहुत प्रचलित है— पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब। लेकिन, वैभव सूर्यवंशी ने इस धारणा को पूरी तरह बदलकर रख दिया है। 19 साल के इस युवा क्रिकेटर ने दिखा दिया कि अगर दिल में जुनून और मेहनत करने की लगन हो, तो खेल के मैदान से भी नवाब बना जा सकता है।

राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें आईपीएल 2025 में 1 .1 करोड़ की रकम देकर टीम में शामिल किया है, और इसके साथ ही वे आईपीएल के सबसे कम उम्र के अनकैप्ड खिलाड़ी बन गए हैं। वैभव का यह सफर हर युवा खिलाड़ी के लिए प्रेरणा है।

वैभव सूर्यवंशी: पिता की मेहनत और सपनों की उड़ान

वैभव सूर्यवंशी की सफलता के पीछे उनके पिता संजीव सूर्यवंशी की अडिग मेहनत और त्याग की कहानी छिपी है। एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले संजीव ने अपने बेटे के सपनों को साकार करने के लिए कई कठिनाइयों का सामना किया।

संजीव सूर्यवंशी ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा,
“वैभव में जो क्षमता थी और उसकी क्रिकेट के प्रति जो भूख थी, वह हमें हमेशा हिम्मत देती थी।”
हालांकि, आर्थिक परेशानियों ने उन्हें कई बार मुश्किलों में डाला, लेकिन उन्होंने अपने बेटे के सपनों को टूटने नहीं दिया। एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें अपनी जमीन का कुछ हिस्सा बेचना पड़ा, ताकि वैभव की जरूरतें पूरी की जा सकें।

संजीव कहते हैं,
“हमने हर संभव कोशिश की कि वैभव को उसकी जरूरत की चीजों की कभी कमी न महसूस हो। उसकी ट्रेनिंग से लेकर हर छोटे-बड़े खर्च को हमने पूरा किया, क्योंकि हमें यकीन था कि एक दिन वह बड़ा मुकाम हासिल करेगा।”

आज वैभव की मेहनत और उनके पिता के त्याग का फल सबके सामने है। राजस्थान रॉयल्स द्वारा 1 करोड़ 10 लाख रुपये में खरीदे जाने के बाद, वैभव न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे गांव के लिए गर्व का विषय बन गए हैं।

संजीव सूर्यवंशी की एक ख्वाहिश अभी भी अधूरी है। वे चाहते हैं कि वैभव जल्द ही भारत की मुख्य क्रिकेट टीम का हिस्सा बने और देश का प्रतिनिधित्व करे। अभी वैभव अंडर-19 और एशिया कप जैसे टूर्नामेंट्स में खेल रहे हैं, लेकिन उनके पिता का सपना है कि वह जल्द ही भारतीय क्रिकेट टीम के लिए चमकते सितारे बनें।

खेल ने दिया नया जीवन

वैभव सूर्यवंशी का मानना है कि,
“आज मैं जहां हूं, वह सिर्फ खेल की वजह से हूं। अगर मैंने पढ़ाई पर ध्यान दिया होता, तो शायद मैं अपने सपनों को इस तरह जी नहीं पाता।”

उनकी सफलता ने यह साबित कर दिया कि खेल न केवल करियर का एक मजबूत विकल्प हो सकता है, बल्कि यह जीवन को पूरी तरह बदल सकता है।

आज के युवाओं के लिए प्रेरणा: वैभव सूर्यवंशी की कहानी

वैभव का यह सफर उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो खेल को केवल मनोरंजन के तौर पर देखते हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि पढ़ाई और खेल दोनों का अपना महत्व है, लेकिन यदि खेल को सही दिशा और मेहनत के साथ अपनाया जाए, तो यह भी सुनहरे भविष्य की चाबी बन सकता है।

भारत में एक पुरानी कहावत बेहद मशहूर है—“पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब।” लेकिन वैभव सूर्यवंशी ने इस कहावत को अपने जुनून और मेहनत से पूरी तरह बदलकर रख दिया है।

अब इस पुरानी कहावत को कुछ इस तरह बदलना चाहिए—
खेलोगे कूदोगे तो बनोगे नवाब, पढ़ाई के साथ खेल भी हो ख्वाब।

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